Nidhi Saxena

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जिंदगी मेरी या मेरे अपनो की


जिंदगी मेरी या मेरे अपनो की 
मेरे भी कुछ अरमान थे।

एक दुनिया दिल में बसाई थी।
सोचा था अच्छे से पढ़ाई पूरी कर एक अध्यापिका बनूंगी ।
लेकिन अरमान जहां किसी के पूरे हुए हैं।
दिल में बसी दुनिया सच हुई है।
हमारी भी ना हुई और घर की जिम्मेदारी की बेड़ियों को पैरो में बांध दिया गया।

अब तो पढ़ाई भी औपचारिकता के रूप में पूरी हो गई।
जब आपका अरमान पूरे करने के लिए घर पर ही एक कदम उठाया और घर से ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया,
तब फिर से बेड़ियां पैरो में बांध  दी गई।
लेकिन अब की बेड़ी शादी की थी।
जहां अरमान  कहां पूरे हुए।
शादी से भी कुछ अरमान सजाए।
लेकिन अरमान जहां किसी के पूरे हुए।
जब अरमान सजाए गए, तब भी पैर बेड़ियों से बांध दिए गए।
क्या हुआ आगे शादी में ????
शादी से भी अरमान क्यों नहीं हुए ?????
अगला भाग जल्द ही आपके समक्ष रखेंगे
क्या आप सभी जानते हैं??????
      स्वरचित; नीर (निधिसक्सैना)

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1 Comments

Gunjan Kamal

24-Nov-2022 09:01 PM

👏👌🙏🏻

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